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पहाड़ एक दैवीय स्थान

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दैवीय भाव से पूर्ण पहाड़ शब्द सुनते ही हर किसी के दिमाग में मंदिर और भक्ति भाव आ जाता है। क्या आप नहीं मानते की सम्पूर्ण भारत देश में जब भी किसी सफल भक्तों की चर्चा होती है तो सबसे पहले पहाड़ पहाड़ से पनपे बड़े बड़े भक्त लोगों का नाम आता है।  वास्तव में , प्राचीन काल से ही पहाड़ों को खूब मान्यता एवं सद्भाव दिया गया है। क्योंकि सबसे श्रेष्ठ कार्यों के लिए भी पहाड़ों को ही चुना जाता है।  पहाड़ भक्तों के लिए एक भक्ति भाव का स्थान होता है। वहीं देश में जो भी सद्भाव से समर्पित ब्यfक्ति अपने जीवन काल में उत्तम कार्यों को समापन करते हुए पहाड़ों की ओर आकर्षित होता है।  वह पहाड़ों में रहना एवम जीवन बिताना पसंद करता है। संभवत: पहाड़ो में जीवन जीना जितना मुश्किलों भरा होता है उतना ही जीवन ज्योति को परमात्मा से जोड़ा हुआ भी होता है। निसन्देह मझे यह कहने की चेष्ठा हो रही है कि लोगों को यदि परमात्मा के सबसे करीब रहना है अथवा परमात्मा के चिंतन के साथ उनकी कृपा दृष्टि में रहना है तो पहाड़ों का जीवन बिताओ। क्योंकि यहां पहाड़ों में जो भी मुश्किलें होती हैं उनमें लोग उस पार ब्रह्म परमेश्वर की इच्छा मानते हुए अनुसरण कर